आओ बात करते है ज़कात की


*आओ बात करते है ज़कात की* *आज हम जिस कौम को भी देखें, आज अपनी कौम के लिए,अपने कौम की तालीम के लिए बहुत कुछ कर रही है, तो क्या हम भी ऐसा नहीं कर सकते? कर सकते है, तो आखिर कैसे करे अपनी कौम की तरक़्क़ी के लिए काम......, हम हर रोज अपनी मेहनत से कमाते है और जब माहे रमजान आता है तो अपने बुजुर्गों के नाम पर ज़कात देते है कि उनको मगफिरत मिले,* *क्या हमने कभी सोचा है कि वो शख्श जिनको हमने अपनी मेहनत की कमाई दी है, जिसको हम जकात कहते है उसने कहाँ खर्च की है, नहीं न........, अब हम अगर चाहे तो अपनी कौम को आगे लाने और उनको भविष्य बनाने के लिए अपनी ही कौम का पैसा अपनी ही आने वाली पीढ़ी पर तालीम,व तरक़्क़ी ,तिजारत के लिए दे तो हमारी कौम जरूर आगे बढ़ेगी, बस हमे सिर्फ एक काम करना है और वो है अपनी कौम को तालीम हासिल करवाना,* *आओ इस रंजन से इरादा कर ले* *अपनी जकात अखिल भारतीय मोयला समाज को ही दे* *ताकि अपनी ज़कात अपने ही कौम की भलाई के लिए काम आये* *गुज़ारिश..... बाबूखान घड़ोई* Abmsss

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  1. आपके अमुल्य सुझावो का इंतजार रहेगा,ब्लाग पढने के लिए आपका धन्यवाद

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