मृत्यु भोज :-अगर वाकई मे इंसान ही हो तो आंसुओं और मज़बुरियो से बना खाना छोड़ दो.. खुशी के मौके भी खुब आते है.. तब खाओ ना जी भर कर.. जितना खा सको
मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो...
जो तुम सजधज कर जीमण जाते हो ना.. तुम्हारे उसी
एक समय के जीमण की कीमत
तुम तो मज़े से जीमण खा रहे होते हो.. लेकिन कभी उस विधवा औरत के बारे मे भी सोचो.. जो अब भी घर के अंधेरे कमरे मे किसी कोने में भरी गर्मी मे भी कम्बल ओढकर बैठी हुई है ..वो 8-10 दिनो से लगातार रो रही है और उसके आंसु सुखते तक नहीं है.. वो ना जाने कितने दिनों से भूखी होगी.. जिसे बाकी की सारी उम्र अपने पति के बिना सादगी से काटनी पड़ेगी...
मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो..
उन बच्चों के बारे में भी सोचो..
जिनके सर से अपने बाप का साया उठ चुका है.. और जो हफ़्ते दस दिन से भूखे प्यासे आपके खाने पीने की ज़रूरतो को पुरा करने मे लगे हुए हैं.. इस मृत्यु भोज के लिए चाहे कर्ज ले या ज़मीन बेचे.. चाहे बच्चों की पढ़ाई छुटे या कम उम्र में ही मज़दुरी करनी पड़े..
पैसे तो उन्ही को चुकाने है..
आपको तो आपके जीमण से मतलब है..कभी उनकी आँखों मे आंखें डालकर देखना.. कर्ज़ चुकाने की टेंशन साफ दिखाई देगी..
अगर वाकई मे इनसान ही हो तो आंसुओं और मज़बुरियो से बना खाना छोड़ दो..
खुशी के मौके भी खुब आते है.. तब खाओ ना जी भर कर.. जितना खा सको.. 😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒 अपनी राय अवश्य दें} 🤔🤔🤔🤔
✍✍Naseer Khan J
: अखिल भारतीय मोयला समाज के सभी सदस्य व मेम्बर से मेरी आप लोगो से विनती है कि आप कही भी चालीस मा या दसमा मे जाओ तो अपने मन मे एक बात साफ कर दो की मे वहा शिरफ फातीहा ही पढकर आऊंगा वहा पर न तो कोई खाना खाऊँगा और मेरे साथ वालो को भी यही कहूंगा कि आप शिरफ फातिहा पढकर अपने घर पर जाकर ही खाना खाओ या घर से खाकर ही आओ आज से मे खूद अमल करेंगे और दुसरो को अमल करने की नसीहत दो अगर मेने कुछ गलत लिख दिया है तो क्षमा चाहता हु ईकबाल जरीवाला शिवगंज
: आज आप खुद अपने मन मे यह बात बैठा दो की मे शिरफ फातिहा पढ़ने ही जाऊंगा बुजुर्ग अपने आप समझ जाऐंगे
✍✍: आपने दिल की बात कह दी जनाब,कम से कम abmsss ईस पर अमल कर लें तो धीरे धीरे सभी लोग abmsss का अनुसरण करने लग जायेगें
यह कुरीति अपने आप खत्म हो जायेंगी
*हम होगें कामयाब*
*इंशाअल्लाह*
नसीर खान j
जो तुम सजधज कर जीमण जाते हो ना.. तुम्हारे उसी
एक समय के जीमण की कीमत
तुम तो मज़े से जीमण खा रहे होते हो.. लेकिन कभी उस विधवा औरत के बारे मे भी सोचो.. जो अब भी घर के अंधेरे कमरे मे किसी कोने में भरी गर्मी मे भी कम्बल ओढकर बैठी हुई है ..वो 8-10 दिनो से लगातार रो रही है और उसके आंसु सुखते तक नहीं है.. वो ना जाने कितने दिनों से भूखी होगी.. जिसे बाकी की सारी उम्र अपने पति के बिना सादगी से काटनी पड़ेगी...
मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो..
उन बच्चों के बारे में भी सोचो..
जिनके सर से अपने बाप का साया उठ चुका है.. और जो हफ़्ते दस दिन से भूखे प्यासे आपके खाने पीने की ज़रूरतो को पुरा करने मे लगे हुए हैं.. इस मृत्यु भोज के लिए चाहे कर्ज ले या ज़मीन बेचे.. चाहे बच्चों की पढ़ाई छुटे या कम उम्र में ही मज़दुरी करनी पड़े..
पैसे तो उन्ही को चुकाने है..
आपको तो आपके जीमण से मतलब है..कभी उनकी आँखों मे आंखें डालकर देखना.. कर्ज़ चुकाने की टेंशन साफ दिखाई देगी..
अगर वाकई मे इनसान ही हो तो आंसुओं और मज़बुरियो से बना खाना छोड़ दो..
खुशी के मौके भी खुब आते है.. तब खाओ ना जी भर कर.. जितना खा सको.. 😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒😒 अपनी राय अवश्य दें} 🤔🤔🤔🤔
✍✍Naseer Khan J
: अखिल भारतीय मोयला समाज के सभी सदस्य व मेम्बर से मेरी आप लोगो से विनती है कि आप कही भी चालीस मा या दसमा मे जाओ तो अपने मन मे एक बात साफ कर दो की मे वहा शिरफ फातीहा ही पढकर आऊंगा वहा पर न तो कोई खाना खाऊँगा और मेरे साथ वालो को भी यही कहूंगा कि आप शिरफ फातिहा पढकर अपने घर पर जाकर ही खाना खाओ या घर से खाकर ही आओ आज से मे खूद अमल करेंगे और दुसरो को अमल करने की नसीहत दो अगर मेने कुछ गलत लिख दिया है तो क्षमा चाहता हु ईकबाल जरीवाला शिवगंज
✍✍: जनाब आप बिल्कुल सही कह रहे है पर ईस पर अमल कोई नही करता ओर काफी बूजर्ग तो यह नही मानते है कि पहलै तो नयात करते थै और घड़ीयो करते थै ओर अब तुम यह भी बन्द करना चाहतै हो क्यु खरचा खारा लगता है अब बताओ कोन समजायै ऊन बूजर्ग लोगौ को यह बात आप और हम सब मिलकर जब 14पट्टी कि मिटीग होती है जालोर मियां मोटनशाह बापु तकिया पर सब मिलकर प्रस्ताव रक्खो तो हम ईस मुहीम सफल हो सकते है आगे आपकि जैसी सौछ गलती होतो नाचीज को माफ करना
: आज आप खुद अपने मन मे यह बात बैठा दो की मे शिरफ फातिहा पढ़ने ही जाऊंगा बुजुर्ग अपने आप समझ जाऐंगे
✍✍: आपने दिल की बात कह दी जनाब,कम से कम abmsss ईस पर अमल कर लें तो धीरे धीरे सभी लोग abmsss का अनुसरण करने लग जायेगें
यह कुरीति अपने आप खत्म हो जायेंगी
*हम होगें कामयाब*
*इंशाअल्लाह*
नसीर खान j
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