ईद मिलन समारोह 20 को होगा दंताला शरीफ में
मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से ज़्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। जबकि स्पर्धा से खुद को और दूसरों को तनाव रहता है।
*अहले 'सुन्नत के बिखरे हुए नौजवान भाइयों (मोतियों) को समेट कर एक डोरी में पिरोने की कोशिश करना चाहता हूँ ताकि हमारी कीमत और कदर और बढ़ जाये..माशा अल्लाह अगर इसी तरीके से समाज के काम मे हिस्सा लेते रहे तो कोई भी हमारी समाज मे तकलीफ से नही गुजरेगा अल्लाह आपको हर काम मे कामयाब करे*
*अहले 'सुन्नत के बिखरे हुए नौजवान भाइयों (मोतियों) को समेट कर एक डोरी में पिरोने की कोशिश करना चाहता हूँ ताकि हमारी कीमत और कदर और बढ़ जाये..माशा अल्लाह अगर इसी तरीके से समाज के काम मे हिस्सा लेते रहे तो कोई भी हमारी समाज मे तकलीफ से नही गुजरेगा अल्लाह आपको हर काम मे कामयाब करे*
आजकल तो अच्छी होटल मे चार पाचं जने नास्ता करने जाये तो भी 500 से ज्यादा रु देकर आ जाते है जबकि वो जरुरी नही है
जब हम फिजुल खर्च शान से कर सकते है तो क्या हम अल्लाहा पाक के दिये हुये फरमान पर नही चल सकते
अल्लाहा पाक ने फरमाया कि सबसे पहले अपने समाज कि भाई कि मदद करो
इंसान का पतन उस समय ही शुरु हो जाता है,जब अपनों को गिराने की सलाह वो गैरो से लेना शुरु करदेता है ।_छाता "बारिश"नहीं रोक सकता_*
*_परन्तु "बारिश" में खड़े रहने का_*
*_"हौंसला" अवश्य देता है_*
*_उसी तरह "आत्मविश्वास"_*
*_सफलता की "गारन्टी" तो नहीं_*
*_परन्तु "सफलता" के लिए_*
*_संघर्ष करने की "प्रेरणा"_*
*_"अवश्य" देता है_*
हँसता हुआ चेहरा
आपकी शान बढ़ाता है
मगर..
हँसकर किया हुआ कार्य
आपकी पहचान बढ़ाता है
कौन कहता है कि
इंसान खाली हाथ आता है
और खाली हाथ जाता है ?
ऐसा नहीं है.,
इंसान भाग्य लेकर आता है
और
कर्म लेकर जाता है
अखिल भारतीय मोयला समाज
अखिल भारतीय मोयला समाज सेवा समिति ट्रस्ट
*अहले 'सुन्नत के बिखरे हुए नौजवान भाइयों (मोतियों) को समेट कर एक डोरी में पिरोने की कोशिश करना चाहता हूँ ताकि हमारी कीमत और कदर और बढ़ जाये..माशा अल्लाह अगर इसी तरीके से समाज के काम मे हिस्सा लेते रहे तो कोई भी हमारी समाज मे तकलीफ से नही गुजरेगा अल्लाह आपको हर काम मे कामयाब करे*
*अहले 'सुन्नत के बिखरे हुए नौजवान भाइयों (मोतियों) को समेट कर एक डोरी में पिरोने की कोशिश करना चाहता हूँ ताकि हमारी कीमत और कदर और बढ़ जाये..माशा अल्लाह अगर इसी तरीके से समाज के काम मे हिस्सा लेते रहे तो कोई भी हमारी समाज मे तकलीफ से नही गुजरेगा अल्लाह आपको हर काम मे कामयाब करे*
आजकल तो अच्छी होटल मे चार पाचं जने नास्ता करने जाये तो भी 500 से ज्यादा रु देकर आ जाते है जबकि वो जरुरी नही है
जब हम फिजुल खर्च शान से कर सकते है तो क्या हम अल्लाहा पाक के दिये हुये फरमान पर नही चल सकते
अल्लाहा पाक ने फरमाया कि सबसे पहले अपने समाज कि भाई कि मदद करो
इंसान का पतन उस समय ही शुरु हो जाता है,जब अपनों को गिराने की सलाह वो गैरो से लेना शुरु करदेता है ।_छाता "बारिश"नहीं रोक सकता_*
*_परन्तु "बारिश" में खड़े रहने का_*
*_"हौंसला" अवश्य देता है_*
*_उसी तरह "आत्मविश्वास"_*
*_सफलता की "गारन्टी" तो नहीं_*
*_परन्तु "सफलता" के लिए_*
*_संघर्ष करने की "प्रेरणा"_*
*_"अवश्य" देता है_*
हँसता हुआ चेहरा
आपकी शान बढ़ाता है
मगर..
हँसकर किया हुआ कार्य
आपकी पहचान बढ़ाता है
कौन कहता है कि
इंसान खाली हाथ आता है
और खाली हाथ जाता है ?
ऐसा नहीं है.,
इंसान भाग्य लेकर आता है
और
कर्म लेकर जाता है
अखिल भारतीय मोयला समाज
अखिल भारतीय मोयला समाज सेवा समिति ट्रस्ट
बहुत बहुत शुक्रिया ईंशा अल्लाह जरूर आऐगे
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