जागो जागो मोयला समाज के लोगो जागो,अब भी मौका है़ जनाब तो देर किस बात की
मोयला समाज के भाइयों जागो ! समय करवट ले रहा हैं ।
साहब आज मै मेरे गांव के आस -पास के गांवो का ब्यौरा दे रहा हू ।
जनाब मेरे गांव के आस पास कुछ जैनी लोग रहते थे जिसमे जीवाना , मेंगलवा , बागोडा , भीनमाल , सायला और बहुत सारे गांव हैं जिनमे जैन समाज के लोग रहते । ये लोग लगभग 20-30साल पहले गांव छोड़कर बिज़्नेस के लिये साउथ यानी बेंगलोर , आन्ध्रा , चेन्नई , तमिलनाड़ , केरला चले जाते हैं और अपना बिज़्नेस शुरू करतें हैं । जिसमे ये लोग वहा के बाजार पर पूरा कब्जा कर लेते हैं ।
आज ये लोग भारत के अलावा विदेशो मे भी अपना वर्चस्व बना रखा हैं , अगर ये लोग भारत मे भी हैं तो बड़े बड़े व्यापारी हैं ।
आज इनकी हवेलिया सुनी पड़ी हैं , जब मै जीवाना पढ़ता था तो ये लोग अपनी हवेली बिना किराया लिये हमे देते थे केवल उसमे हमे सफाई करनी पड़ती थी ।
अब साहब आगे क्या होता हैं की राजस्थान के जालोर , पाली , सिरोही , बाड़मेर जिले से , दूसरी कौम के लोगो क़ो ये जैन लोग अपने यहा नौकरी पर रखते थे ।
दूसरी कौम मे भेड़ बकरिया चराने वाले , और जो खेती का काम करतें थे, लेकिन निरंतर अकाल और रोजी रोटी के संकट के काऱण ये लोग कम ही पढ़ें लिखे थे लेकिन वहा जाकर इन जैन लोगो के दुकानों पर काम करतें ।
अब साहब होता हू हैं की ये दूसरी पिछड़ी कौम के लोग वहा जैन लोगो के यहा नौकरी करतें करतें वहा बिज़्नेस के गुर सीख लेते हैं और धीरे धीरे ये लोग अपना बिज़्नेस खोल देते हैं ।
ये ज़्यादा समय की बात नही हैं 10-15सालो मे कलबी , रेबारी ,पुरोहित , सिरवीं, कुम्हार माली , लोगो ने जितना प्रोग्रेस किया हैं उतना किसी भी कौम ने नही किया हैं । इनकी अनपढ़ औरते गांवो मे चूडा पहनती थी , आज हवाई जहाज मे यात्रा करती हैं । ताजुब की बात हैं की इन लोगो के पास ना तो पहले पैसे थे , और ना ही व्यापार करने की कला ना ही हाइयर शिक्षा और ना शहर का नाम ।
आज के वक़्त ये लोग हर बिज़्नेस मे आगे हैं । इनके घरो मे एक दो बुजुर्ग रहते हैं और पूरी की पूरी फेमिली बाहर सेट्ल हैं ।
आज इन गांवो मे बचे हैं तो हम लोग , जो नरेगा की मजदूरी , टायर पिन्च्र की दुकान , भेसो का व्यापार , भेड़ बकरियों का व्यापार , गाड़ियों की ड्राई विंग , रिक्शा चलाना , एक दूसरे की गीब्त करना और ये जो लोग सक्सेस हुए हैं इनकी कहानिया सुनते हैं और सुनाते रहते हैं ।
मेहमान आ गये तो चिकन लाओ , लेग पिच खाओ , बिरियानि बनाओ , बीडी सिगरेट फूको , गुटका खाओ और नहिड मे डोडा पीओ और नुधे पर चढ़ाना या नहि चढ़ना , मौत मे हलवा बनाना और दूसरे ने जाकर बंद करवाना , मस्जिद, मदरसों के कामो मे अड़सने डालना , बाहर के लोगो के लिये यहा नही दफनाने देना , आपस मे लड़ना , ठाकुर साहब के पास जाना पंचायती करवाना यानी हम लोग इतने इन कामो मे बिज़ी हो गये हैं की हमे पता ही नही हैं की इन 10-15सालो मे हमारे गांवो से दूसरी कौम के लोग करोड़पति बन गये हैं ।
जनाब आप मुम्बई से गोवा जाते समय देखना या मारवाड़ से बॉम्बे जाते समय देखना सब जगह इन रेवारीयो , राजपुरोहितो , के रेस्टोरन्ट मिलेंगे । सभी तरह के बिज़्नेस मे इनका साम्राज्य हैं ।
मुझे याद हैं मेरे साथ जो पढ़ते थे जो आठवी कक्षा भी पास नही कर पाये वो आज करोड़पति अरबपति हैं ।
जनाब ये दस सालो मे इतना प्रोग्रेस इन लोगो ने कैसे किया क्या इनके पास कोई जादू की छड़ी थी ?
नही ना !
जनाब ये 10सालो मे बदलाव कोई चमत्कार से कम नही हैं । लेकिन इनकी कड़ी मेहनत , आपस मे एक दूसरे की मदद करने की भावना , अपने भाई , अपने समाज के लिये जान दे देते हैं ॥
और हम अपने भाई के लिये अपने समाज के लिये क्या करतें हैं ?
आज का दिन आपके सोचने के लिये हैं ।
हमे विश्वास हैं आप इस पर ग़ौर जरूर करेंगे ।
साहब आज मै मेरे गांव के आस -पास के गांवो का ब्यौरा दे रहा हू ।
जनाब मेरे गांव के आस पास कुछ जैनी लोग रहते थे जिसमे जीवाना , मेंगलवा , बागोडा , भीनमाल , सायला और बहुत सारे गांव हैं जिनमे जैन समाज के लोग रहते । ये लोग लगभग 20-30साल पहले गांव छोड़कर बिज़्नेस के लिये साउथ यानी बेंगलोर , आन्ध्रा , चेन्नई , तमिलनाड़ , केरला चले जाते हैं और अपना बिज़्नेस शुरू करतें हैं । जिसमे ये लोग वहा के बाजार पर पूरा कब्जा कर लेते हैं ।
आज ये लोग भारत के अलावा विदेशो मे भी अपना वर्चस्व बना रखा हैं , अगर ये लोग भारत मे भी हैं तो बड़े बड़े व्यापारी हैं ।
आज इनकी हवेलिया सुनी पड़ी हैं , जब मै जीवाना पढ़ता था तो ये लोग अपनी हवेली बिना किराया लिये हमे देते थे केवल उसमे हमे सफाई करनी पड़ती थी ।
अब साहब आगे क्या होता हैं की राजस्थान के जालोर , पाली , सिरोही , बाड़मेर जिले से , दूसरी कौम के लोगो क़ो ये जैन लोग अपने यहा नौकरी पर रखते थे ।
दूसरी कौम मे भेड़ बकरिया चराने वाले , और जो खेती का काम करतें थे, लेकिन निरंतर अकाल और रोजी रोटी के संकट के काऱण ये लोग कम ही पढ़ें लिखे थे लेकिन वहा जाकर इन जैन लोगो के दुकानों पर काम करतें ।
अब साहब होता हू हैं की ये दूसरी पिछड़ी कौम के लोग वहा जैन लोगो के यहा नौकरी करतें करतें वहा बिज़्नेस के गुर सीख लेते हैं और धीरे धीरे ये लोग अपना बिज़्नेस खोल देते हैं ।
ये ज़्यादा समय की बात नही हैं 10-15सालो मे कलबी , रेबारी ,पुरोहित , सिरवीं, कुम्हार माली , लोगो ने जितना प्रोग्रेस किया हैं उतना किसी भी कौम ने नही किया हैं । इनकी अनपढ़ औरते गांवो मे चूडा पहनती थी , आज हवाई जहाज मे यात्रा करती हैं । ताजुब की बात हैं की इन लोगो के पास ना तो पहले पैसे थे , और ना ही व्यापार करने की कला ना ही हाइयर शिक्षा और ना शहर का नाम ।
आज के वक़्त ये लोग हर बिज़्नेस मे आगे हैं । इनके घरो मे एक दो बुजुर्ग रहते हैं और पूरी की पूरी फेमिली बाहर सेट्ल हैं ।
आज इन गांवो मे बचे हैं तो हम लोग , जो नरेगा की मजदूरी , टायर पिन्च्र की दुकान , भेसो का व्यापार , भेड़ बकरियों का व्यापार , गाड़ियों की ड्राई विंग , रिक्शा चलाना , एक दूसरे की गीब्त करना और ये जो लोग सक्सेस हुए हैं इनकी कहानिया सुनते हैं और सुनाते रहते हैं ।
मेहमान आ गये तो चिकन लाओ , लेग पिच खाओ , बिरियानि बनाओ , बीडी सिगरेट फूको , गुटका खाओ और नहिड मे डोडा पीओ और नुधे पर चढ़ाना या नहि चढ़ना , मौत मे हलवा बनाना और दूसरे ने जाकर बंद करवाना , मस्जिद, मदरसों के कामो मे अड़सने डालना , बाहर के लोगो के लिये यहा नही दफनाने देना , आपस मे लड़ना , ठाकुर साहब के पास जाना पंचायती करवाना यानी हम लोग इतने इन कामो मे बिज़ी हो गये हैं की हमे पता ही नही हैं की इन 10-15सालो मे हमारे गांवो से दूसरी कौम के लोग करोड़पति बन गये हैं ।
जनाब आप मुम्बई से गोवा जाते समय देखना या मारवाड़ से बॉम्बे जाते समय देखना सब जगह इन रेवारीयो , राजपुरोहितो , के रेस्टोरन्ट मिलेंगे । सभी तरह के बिज़्नेस मे इनका साम्राज्य हैं ।
मुझे याद हैं मेरे साथ जो पढ़ते थे जो आठवी कक्षा भी पास नही कर पाये वो आज करोड़पति अरबपति हैं ।
जनाब ये दस सालो मे इतना प्रोग्रेस इन लोगो ने कैसे किया क्या इनके पास कोई जादू की छड़ी थी ?
नही ना !
जनाब ये 10सालो मे बदलाव कोई चमत्कार से कम नही हैं । लेकिन इनकी कड़ी मेहनत , आपस मे एक दूसरे की मदद करने की भावना , अपने भाई , अपने समाज के लिये जान दे देते हैं ॥
और हम अपने भाई के लिये अपने समाज के लिये क्या करतें हैं ?
आज का दिन आपके सोचने के लिये हैं ।
हमे विश्वास हैं आप इस पर ग़ौर जरूर करेंगे ।
बहूत खुबसूरत जनाब
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