युवा पीढ़ी अपना लक्ष्य बनाए और मेहनत करे । बिना मकसद के यूं अपनी जिंदगी बर्बाद ना करे ।
ओह मेरे कौम के भाइयों !
हम मारवाड़ी हैं , और मारवाड़ी लोग जो दूसरे कौम के हैं वो चाहे पुरोहित हो , या कलबी हो , हाथ मे अंगोसा , एक विमल गुटका का खाली बेग और उसमे दो जोड़ी कपड़े और मन मे कुछ करने की हिम्मत लेकर मारवाड़ से बाहर निकले हैं , वो आज बेंगलूर , मेसूर , बॉम्बे , आन्ध्रा या तक पूरे भारत और दुनियां के हर कोने मे फैल गये हैं। और व्यापार कर रहे हैं और हमारी कौम के लोग मारवाड़ मे रहकर भी कुछ ज़्यादा नही कर पा रही हैं । ये लोग राशन कार्ड की जगह पेन कार्ड , बस की जगह हवाई जहाज और हिन्दी की जगह फ्रेंच और अंग्रेजी बोलते हैं, और हमारी कौम का ये हाल हैं की हम हिन्दी भी नही बोल पाते हैं ।
आज दूसरी कौम के लोग सी ए, मेनेजमेंट , होटेल व्यापार , ज्वेलरी , रियल स्टेट , बिज़्नेस और ब्रिटेन और अमेरिका की बाते करतें हैं , और हम लोग बिरियानि , लेग पीस , किसके शादी मे क्या बनाया उसके घर मे फलां आदमी क्यो आता हैं , मदरसा या मस्जिद का काम ये क्यो देख रहा हैं ,राशन कार्ड की सस्ती चीनी , केरोसिन की लाइन , दो रुपए के गेहू की लाइन मे उलझे हुए हैं । अखिल भारतीय़ मोयला समाज सेवा समिति भीख मांगती हैं , ये फोटो भेजते हैं , ये पेंशन क्यो देते हैं ?ये इमदाद खाते हैं और धंधा करतें हैं इमदाद से , आज तालिब जी ने ट्रस्टियों का परिचय क्यो दिया ,? किसके वहा हलीमा हैं , वो उसके घर क्यो आया ? उसका फोटो क्यो भेजा ? फलां आदमी क़ो ग्रूप से निकालो । B.P.L.का कार्ड हैं या नही , नरेगा कार्ड हैं या नही , गाड़ी कौनसी लाउ हैं क्योकि बाप की जमीन थी वो बेच दी हैं , गुटका खाना , बीडी पीना , ताश खेलना , और जवान लड़के घर मे निठल्ले बैठे हैं ।
आखिर हममे व्यापारी सोच कब पैदा होगी ।
अगर हम आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत होंगे तो पूंजी द्वारा मजबूती से लड़ा जा सकता हैं , क्योकि लोहा लोहे क़ो ही काटता हैं ।
सर मै तो समाज के युवाओ क़ो कहना चाहता हू की आप छोटे मोटे बिज़्नेस मे बढ़े । युवा पीढ़ी अपना लक्ष्य बनाए और मेहनत करे । बिना मकसद के यूं अपनी जिंदगी बर्बाद ना करे ।
मै उन भाइयों क़ो कहना चाहता हू जो बिज़्नेस या नौकरी मे आगे बढ़ गये हैं , उनका फर्ज बनता हैं की बाकी भाइयों की मदद करे उनका मार्गदर्शन करे । जिस तरह दूसरी कौम के लोग एक दूसरे की मदद करतें हैं , वैसे हमे भी अपनी कौम क़ो आगे ले जाने के लिये रात दिन एक करके आगे ले जाना हैं और अपना दायित्व निभाना होगा ।
जब भी आप किसी की शादी मे जाओ या मीलाद महफ़िल मे जाओ तो हर बिज़्नेस के बारे मे जानकारी लेते रहो और उससे कैसे जुड़ा जाये उस पर भी मंथन किया करो ।
EDIT BY NASEER KHAN J
हम मारवाड़ी हैं , और मारवाड़ी लोग जो दूसरे कौम के हैं वो चाहे पुरोहित हो , या कलबी हो , हाथ मे अंगोसा , एक विमल गुटका का खाली बेग और उसमे दो जोड़ी कपड़े और मन मे कुछ करने की हिम्मत लेकर मारवाड़ से बाहर निकले हैं , वो आज बेंगलूर , मेसूर , बॉम्बे , आन्ध्रा या तक पूरे भारत और दुनियां के हर कोने मे फैल गये हैं। और व्यापार कर रहे हैं और हमारी कौम के लोग मारवाड़ मे रहकर भी कुछ ज़्यादा नही कर पा रही हैं । ये लोग राशन कार्ड की जगह पेन कार्ड , बस की जगह हवाई जहाज और हिन्दी की जगह फ्रेंच और अंग्रेजी बोलते हैं, और हमारी कौम का ये हाल हैं की हम हिन्दी भी नही बोल पाते हैं ।
आज दूसरी कौम के लोग सी ए, मेनेजमेंट , होटेल व्यापार , ज्वेलरी , रियल स्टेट , बिज़्नेस और ब्रिटेन और अमेरिका की बाते करतें हैं , और हम लोग बिरियानि , लेग पीस , किसके शादी मे क्या बनाया उसके घर मे फलां आदमी क्यो आता हैं , मदरसा या मस्जिद का काम ये क्यो देख रहा हैं ,राशन कार्ड की सस्ती चीनी , केरोसिन की लाइन , दो रुपए के गेहू की लाइन मे उलझे हुए हैं । अखिल भारतीय़ मोयला समाज सेवा समिति भीख मांगती हैं , ये फोटो भेजते हैं , ये पेंशन क्यो देते हैं ?ये इमदाद खाते हैं और धंधा करतें हैं इमदाद से , आज तालिब जी ने ट्रस्टियों का परिचय क्यो दिया ,? किसके वहा हलीमा हैं , वो उसके घर क्यो आया ? उसका फोटो क्यो भेजा ? फलां आदमी क़ो ग्रूप से निकालो । B.P.L.का कार्ड हैं या नही , नरेगा कार्ड हैं या नही , गाड़ी कौनसी लाउ हैं क्योकि बाप की जमीन थी वो बेच दी हैं , गुटका खाना , बीडी पीना , ताश खेलना , और जवान लड़के घर मे निठल्ले बैठे हैं ।
आखिर हममे व्यापारी सोच कब पैदा होगी ।
अगर हम आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत होंगे तो पूंजी द्वारा मजबूती से लड़ा जा सकता हैं , क्योकि लोहा लोहे क़ो ही काटता हैं ।
सर मै तो समाज के युवाओ क़ो कहना चाहता हू की आप छोटे मोटे बिज़्नेस मे बढ़े । युवा पीढ़ी अपना लक्ष्य बनाए और मेहनत करे । बिना मकसद के यूं अपनी जिंदगी बर्बाद ना करे ।
मै उन भाइयों क़ो कहना चाहता हू जो बिज़्नेस या नौकरी मे आगे बढ़ गये हैं , उनका फर्ज बनता हैं की बाकी भाइयों की मदद करे उनका मार्गदर्शन करे । जिस तरह दूसरी कौम के लोग एक दूसरे की मदद करतें हैं , वैसे हमे भी अपनी कौम क़ो आगे ले जाने के लिये रात दिन एक करके आगे ले जाना हैं और अपना दायित्व निभाना होगा ।
जब भी आप किसी की शादी मे जाओ या मीलाद महफ़िल मे जाओ तो हर बिज़्नेस के बारे मे जानकारी लेते रहो और उससे कैसे जुड़ा जाये उस पर भी मंथन किया करो ।

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