क्या हमारी कौम मे प्रतिभाओ की कमी हैं ?

साहब कल मै डॉक्टर जमील से  मि  जो ज़कात के पैसे से पूरी मुस्लिम कौम के छात्र छात्राओ  क़ो IAS की कोचिंग  फ्री करवाते हैं , इस साल उनके कोचिंग से  26कलेक्टर बने ।
जनाब उनसे मिलकर मुझे बहुत कुछ सीखने क़ो मिला । उनसे ये मेरी मुलाक़ात तालीम से संबंधित थी ,हर बात क़ो मै लिख नही सकता लेकिन  उनकी एक बात बहुत ही बढ़िया लगी , उन्होने कहा की तालिब बचत करना सीखो । मेंने पूछा सर वो कैसे ?
जनाब बोले की आप दिन मे  दो चाय पीते हो तो एक पिये ।
दिन मे आप 5 सिगरेट पीते हो तो छोड़ देवे या कम से कम पिये ।
दिन बीडी , गुटका , पान कितने खाते हो ?
मकान बड़ा हो तो छोटा किराए पर लेवे और आप जितना हो सके कम से कम खर्च करे आप शादियॉं मे , डेकोरेशन , बेतुके टेलीविजन , जरूरत से ज़्यादा इलेक्ट्रिक सामान और लुभावने विज्ञापन मे ना उलझे और ना ही फालतू पैसे खर्च करे इनमे जितना ज़्यादा बचत करतें हो वो अपनी कौम के तालीम पर लगाये । और आप 5 साल मे रिज़ल्ट देखो ।
साहब बोलते हैं की आज दिन तक मेंने कभी भी मिठाई नही खरीदी ।
मुझे मीठा खाने का मन हुआ तो गुड़ खा लिया , तिल का लड्डू खा लिया , मीठा फल खा लिया लेकिन मिठाई नही खरीदी क्योकि मुझे पता हैं हमारे ऊपर बहुत सामाजिक जिम्मेदारिया हैं , उनके लिये वक़्त बहुत ही कम हैं

मेरे कौम के भाइयों !
आजादी के इतने लंबे समय बाद भी देश के उधोगों व व्यापारिक संस्थानो और नौकरियो मे हमारी मोयला कौम की संख्या नगण्य के बराबर हैं ।
आज हमारे कौम के  इन जिलो मे  जिनमे  जालोर , पाली , सिरोही , बाड़मेर , जोधपुर , गुज़रात मे ऐसे ऐसे  गांव हैं ,और  कस्बा हैं जिसमे समाज के 100 या 100 से ज्यादा घर हैं(गांवो के नाम आप खुद जान गये होंगे ) लेकिन 100घरो मे से एक दो ही कर्मचारी मिलेंगे कितने बड़े शर्म की बात हैं । आप अपने गांव से आज  ही विश्लेण करे की आपके गांव मे कितने घर हैं ?उसमे से कितने सरकारी नौकरी मे हैं ?और कितने लोग वेल सेटल बिज़्नेस मे हैं ?
 अब मै आपसे पूछना चाहता हू क्या इन 100 घरो मे से कोई भी  प्रतिभा  नही हैं ?
बाड़मेर जिले मे आपको कही ऐसे गांव मिलेंगे जिसमे अपनी कौम के 100 घर या 100 से भी ज़्यादा घर हैं लेकिन सरकारी नौकरी मे एक दुका ही मिलेगा
सर ऐसा क्यो हैं ?क्या हमारी कौम मे प्रतिभाओ की कमी हैं ?
साहब नही प्रतिभाओं की कमी नही , हम खुद ही  कही ना कही  ज़िम्मेदार हैं इन सब के लिये ।
क्योकि हमारे पास समय नही हैं इन प्रतिभाओं पर काम करने के लिये ।हम टांग खिचाई मे इतना समय खराब कर लेते हैं की हमारे पास समय ही नही बच पाता हैं ।
साहब कोई भी स्टूडेंट   मिलते हैं तो हम कहते हैं की कौनसे तेरे माँ बाप पढ़े लिखे थे ?
तुम्हारे लिये कौनसी नौकरी रखी हैं ?
मोयला कौम के लिये नौकरियाँ नही हैं ?
तुम पास भी हो गये तो तुमको इंटरव्यू मे निकाल देंगे ?हम इन स्टुडेन्ट के मनोबल क़ो इतना गिरा देते हैं की हमारे कस्बे मे 200 घर होंने के बावज़ूद भी हम कामयाब नही हो पाते हैं ।
जरा सोचे हम क्या कर रहे हैं ?
Talib khan (trusti)

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