बेटियां जब सुनहले पर्दे पर आती है तो सदा अपने रंग बिखेरकर खुशियां लाती है। abmsss

कल जो बारहवीं का कला वर्ग मे   उत्तीर्ण होने वाले सभी छात्र छात्राओं को अखिल भारतीय मोयला  समाज सेवा समिति ट्रस्ट की जानिब से बहुत-बहुत बधाई अल्लाह आपको कामयाबी अता फरमाये
 मैं बच्चों को अपने हिसाब से खिलने का मौका देने का सदा हिमायती रहा हूँ।

बेटी चाहे क्लास में टॉप करे या खेल में कोई मैडल ले आये वो ही हमारी  खुशी है मगर किसी और बच्चे से कभी तुलना नहीं करना  और न अपने बच्चे को श्रेष्ठ बताने के लिए किसी और बच्चे को निराश करने का कृत्य करना  है।

हर बच्चे में एक प्रतिभा होती है।कोई गणित में तेज है तो कोई विज्ञान में।हर बच्चे में अपना यूनिक गुण होता है।

दिखावटी दुनियाँ व चमक-धमक के पर्दे पर आने को आतुर माँ-बाप के लिए लिख रहा हूँ जो बचपन की कीमत को इंसानी जिंदगी का अहम हिस्सा न मानकर अपनी चाहतों,अपनी संतुष्टि के लिए लिए लील रहे है।

ध्यान रखिएगा!भविष्य सिर्फ तेज धावकों की बदौलत ही नहीं संवरता है बल्कि आराम से बैठकर धैर्य के साथ विचार देने वाले लोगों की बदौलत दुनियाँ आगे बढ़ रही है।

हो सकता हो आपका बच्चा गणित में कमजोर हो!हो सकता हो आपका बच्चा विज्ञान में कमजोर हो!मगर यह भी हो सकता है कि आपका बच्चा मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण हो और एक इंसान होने का कर्तव्य समझने वाला हो।

पृथ्वी गोल है मगर दुनिया गोल नहीं है!सिर गोल है मगर सोच गोल नहीं है।

जब कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिला तो 99%भारतीय यह खोजने में लग गए कि यह बन्दा कौन है?

आज भी कैलाश सत्यार्थी भारतीय पर्दे से गायब है मगर भारतीय बचपन सदा उसको सलाम करता रहेगा।

भारतीय नेताओं,मीडिया,न्यायपालिका आदि से निराश होकर बैठा और बेटी को संजोए सपनो के साथ सुबह की तैयारी करते हुए देखा तो उम्मीदों को जीवन मिलने का अहसास हुआ।

इंसानी जज्बातों को जिंदा रखने के लिए सकारात्मक बातों का विश्लेषण करते रहना चाहिए।

बेटियां भारतीय समाज मे सदा सकारात्मकता,उम्मीदों, सपनों का झंडा उठाती रही है।

पितृसत्तात्मक समाज मे दबी बेटियां जब सुनहले पर्दे पर आती है तो सदा अपने रंग बिखेरकर खुशियां लाती है।

अपने बच्चों के बचपन को जीवंत रखिये और सबसे महत्वपूर्ण बात कि बेटियों को खुला आसमान दीजिये।

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