कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें *"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं

मानव जीवन का उद्देश्य है कि अपने मन, वचन और काया से औरों की मदद करना। हमेशा यह देखा गया है कि जो लोग दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें कम तनाव रहता है, मानसिक शांति और आनंद का अनुभव होता है। वे अपनी आत्मा से ज़्यादा जुड़े हुए महसूस करते हैं, और उनका जीवन संतोषपूर्ण होता है। जबकि स्पर्धा से खुद को और दूसरों को तनाव रहता है। इसके पीछे गुह्य विज्ञान यह है कि जब कोई अपना मन, वचन और काया को दूसरों की सेवा के लिए उपयोग करता है, तब उसे सबकुछ मिल जाता है। उसे सांसारिक सुख-सुविधा की कमी कभी नहीं होती। धर्म की शुरूआत ओब्लाइजिंग नेचर से होती है। जब आप दूसरों के लिए कुछ करते हैं, उसी पल खुशी की शुरुआत हो जाती हैं। मानव जीवन का उद्देश्य जन्मों-जन्म के कर्म बंधन को तोड़ना और संपूर्ण मुक्ति को प्राप्त करना है। इसका उद्देश्य केवळज्ञान प्राप्त करने के लिए पहले आत्मज्ञान की प्राप्ति करना आवश्यक है। और यदि किसीको आत्मज्ञान प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलता तो उसे परोपकार में जीवन व्यतीत करना चाहिए। Nice line *"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें *"मरने"* के...